मेरे साथ चले न साया,
धर्मं नहीं, कर्म नहीं जन्म गवायाँ
मेरे लिए दिन भी अँधेरा,
मेरे लिए रात भी लाई न सवेरा
गुलज़ार जी के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'किताब' का ये गाना दिल के बहुत अन्दर तक उतरता चला जाता है....पूरी फ़िल्म में गुलज़ार का जादू सर चढ़कर बोलता है....जबरदस्त कथानक और उतनी ही सुन्दरता से फिल्माया गया....समरेश बासु जी के उपन्यास 'पथीक' पर आधारित ये फ़िल्म न सिर्फ़ एक बच्चे के मनोविज्ञान को बड़ी ही खूबसूरती से टटोलती है बल्कि पति-पत्नी के आपसी रिश्तों का बच्चों के दिमाग पर क्या असर होता है, बखूबी रखती है....ये गाना श्री राम लागू जी के ऊपर फिल्माया गया है जबरदस्त अभिनय के साथ....पूरी फ़िल्म के साथ इस गाने को इतनी बार सुन चुका हूँ ....लेकिन मन नहीं भरता....एक वैराग्य सा उपजता है ....कंचन जी से कल मैंने कहा था कि ये गाना आपको जरूर सुनाऊंगा प्रेरणा के माध्यम से....पर किन्हीं कारणों से नहीं सुनवा पा रहा हूँ ....कंचन जी और आप सबसे क्षमा-याचना के साथ कोशिश करूँगा की जल्द से जल्द ये गीत आप सब तक पहुँचा सकूं.